भौतिकी चिकित्सा के विशेष साधन ताप, उद्वर्तन (मालिश) और व्यायाम हैं।
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भौतिकी चिकित्सा के विशेष साधन ताप, उद्वर्तन (मालिश) और व्यायाम हैं।
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यथार्थ को देखने का क़ायदा परम्परा से मिलता है, वास्तविक आधुनिकता तो परम्परा का नवीनतम रूप है, उसका नव-कलेवर है, आत्मिक उद्वर्तन है ।
6.
आयुर्वेद में वसन्त को कफ़कोपक माना गया है, तथा इसके शमन के लिए तीक्षण नस्य, लघु रूक्ष भोजन, व्यायाम, उद्वर्तन आदि श्रेष्ठ हैं।
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यथार्थ को देखने का क़ायदा परम्परा से मिलता है, वास्तविक आधुनिकता तो परम्परा का नवीनतम रूप है, उसका नव-कलेवर है, आत्मिक उद्वर्तन है ।
8.
दिनचर्या में पंचकर्म: दिनचर्या के अनुसार प्रतिदिन अभ्यंग, उद्वर्तन, मूर्धतौल, अंजन, प्रतिमर्श नस्य, कर्णपुरण्य, पादाभ्यंग आदि पंचकर्म के अंतर्गत वर्णित हैं।
9.
सद्गोपाल और पी. के. गोडे के अनुसंघानों के अनुसार इन ग्रंथों में शरीर के विविध प्रसाधनों में से विशेषतया दर्पण की निर्माण कला, अनेक प्रकार के उद्वर्तन, विलेप, धूलन, चूर्ण, पराग, तैल, दीपवर्ति, धूपवर्ति, गंधोदक, स्नानीय चूर्णवास, मुखवास इत्यादि का विस्तृत विधान किया गया है।
10.
मुख प्रसाधन के लिए विलेपन और अनुलेपन, उद्वर्तन, रंजकनकिका, दीपवति इत्यादि ; सिर के बालों के लिए विविध प्रकार के तैल, धूप और केशपटवास इत्यादि ; आँखों के लिए काजल, सुरमा और प्रसाधन शलाकाएँ इत्यादि ; ओष्ठों के लिए रंजकशलाकाएँ ; हाथ और पाँव के लिए मेंहदी और आलता ; शरीर के लिए चंदन, देवदारु और अगरु इत्यादि के विविध लेप, स्थानीय चूर्णवास और फेनक इत्यादि तथा मुखवास, कक्षवास और गृहवास इत्यादि।