असंयत व्यक्ति के द्वारा (असंयत आत्मना) योग की सिद्धि (योगसिद्धिः) दुष्प्राप्य है (दुष्प्राप्त), यह (इति) मेरा (मे) मत है (मतः) किन्तु (तु) शास्त्रविहित उपाय से (उपायतः) यत्नशील (यतता) संयतचित्त व्यक्ति के द्वारा (वश्यात्मना) [यह योगसिद्धि] प्राप्त हो सकती है (अवाप्तुम् शक्यः) ।