भगवान की आह्लादिनी गुह्यविद्या के रहस्य का प्रवर्तन उन्हीं के द्वारा होता है।
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देवी भागवत में इन्हें भुवनेश्वरी, इंद्र ने यज्ञ विद्या, महाविद्या तथा गुह्यविद्या कहा है।
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इन घटनाओं की वैज्ञानिक स्तर पर घोर उपेक्षा की गई है और इन्हें बहुधा जादू-टोने से जोड़कर, गुह्यविद्या का नाम देकर विज्ञान से अलग समझा गया है।
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इन घटनाओं की वैज्ञानिक स्तर पर घोर उपेक्षा की गई है और इन्हें बहुधा जादू-टोने से जोड़कर, गुह्यविद्या का नाम देकर विज्ञान से अलग समझा गया है।
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इन घटनाओं की वैज्ञानिक स्तर पर घोर उपेक्षा की गई है और इन्हें बहुधा जादू-टोने से जोड़कर, गुह्यविद्या का नाम देकर विज्ञान से अलग समझा गया है।
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इस विषय पर उनकी रचना उनके लघु-कथा संग्रहों में से एक, द एडवेंचर्स ऑफ शरलॉक होम्स के कारणों में से एक थी जिसे तथाकथित गुह्यविद्या के कारण 1929 में सोवियत संघ में प्रतिबंधित बार दिया गया था.
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[22] इस विषय पर उनकी रचना उनके लघु-कथा संग्रहों में से एक, द एडवेंचर्स ऑफ शरलॉक होम्स के कारणों में से एक थी जिसे तथाकथित गुह्यविद्या के कारण 1929 में सोवियत संघ में प्रतिबंधित बार दिया गया था.[कृपया उद्धरण जोड़ें] इस प्रतिबंध को बाद में हटा लिया गया था.