गांव से यदि ग्राम्यत्व छिन गया तो फिर क्या बचेगा? गांव के बदलने का आशय कुछ समझ में नहीं आता।
3.
उक्त सभी सिद्धांतों का समन्वय करते हहुए विश्वनाथ ने लिखा-' शब्द और अर्थ काव्य पुरुष का शरीर है, रस और भाव उसकी आत्मा, शूरता, दया, दाक्षिण्य अदि के सामान माधुर्य, ओज और प्रसाद इस काव्य पुरुष के गुण हैं और कर्णत्व, बधिरत्व, खन्जत्व आदि के सामान श्रुत कटुत्व, ग्राम्यत्व, आदि दोष हैं.
4.
47 परूष वर्णो का प्रयोग कहां वर्जित है-शृंगार, करूण तथा कोमल भाव की अभिव्यंजना में 48 परूष वर्ग किस अलंकार में वर्जित नहीं है-यमक आदि में 49 परूष वर्ण कब गुण बन जाते है-वीर, रोद्र और कठोर भाव में 50 श्रुतिकटुत्व दोष किस वर्ग में आता है-शब्द दोष में 51 काव्य में लोक व्यवहार में प्रयुक्त शब्दों का प्रयोग दोष है-ग्राम्यत्व 52 अप्रीतत्व दोष कहलाता है-अप्रचलित पारिभाषिक शब्द का प्रयोग।