कुम्भश्याम मंदिर, समिद्धेश्वर मंदिर, मीरा मंदिर, कालिका माता मंदिर, श्रृंगार चँवरी आदि दर्शनीय हैं।
5.
सिद्धेश्वरी, परमेश्वरी, तारा, चँवरी, भल्लिनी, अन्धारी आदि देवियों एवं यक्षिणियों की उपासना आज भी हो रही है।
6.
महरी, चँवरी रख दो, और नीचे से केवड़े का शर्बत, बर्फ डालके, और थोड़ा पानी मिला कर, लाओ।
7.
झीलों और नदियों का जल सूख गया. चहचहाने वाले पक्षीभूमी पर लोट-लोट कर विलाप करने लगे और चँवरी गयों की सुन्दर पूछों में आग लगगयी.
8.
राजा-महाराजा एवं देवी-देवताओं को चँवर (चँवरी भी कहते हैं) रुपी झाड़ू शोभायमान होने के साथ-साथ इनके सानिध्य में झाड़ू ने चँवर का रुप ग्रहण कर सम्मान पाया।