यदि बालक को प्रतिदिन मन को प्रसन्न करने वाली नई-नई वस्तुएँ न मिले, तो वह विष के समान असह्य चित्तविकृति से मूर्च्छा को प्राप्त हो जाता है।
2.
3 [अठारह वर्ष] की आयु का है और इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्तविकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं कर दिया जाता है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होने का हकदार होगा।