इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जीवन-प्रत्याशा सकारात्मक अभिवृद्धि के साथ औसत लगभग 65 वर्ष है।
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इन जेनेरिक दवाओं ने बहुत सारे लोगों का जीवन बचाया और बहुत सारे मरीजों की जीवन-प्रत्याशा को बढ़ाया।
3.
सरकार जनता की जरूरतों को पूरा नहीं कर पायी तथा स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन-प्रत्याशा बदतर स्थिति में पहुँच गयी।
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ऐसे में यदि मरीज को बचाना है या उसकी जीवन-प्रत्याशा बढ़ानी है तो उसके परिवार को इतनी महंगी जीवन रक्षक दवा के लिए अपनी घर-संपत्ति तक को बेचना पड़ेगा।
5.
मानवीय विकास सूचकांक किसी देश में जनता की प्रतिव्यक्ति औसत आय, क्रयशक्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं और जीवन-प्रत्याशा जैसे कई तथ्यों के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
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जहाँ GDI GDI स्त्री-पुरुषों के बीच जीवन-प्रत्याशा, आय और स्कूली नामांकन तथा वयस्क साक्षरता के आधार पर तुलना प्रस्तुत करता हैं वहीं GEM GEM स्त्रियों की आर्थिक और राजनैतिक सहभागिता के पैमाने पर विकास को परखता है.