| 1. | वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः ॥६-२१॥
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| 2. | 2 कृतं किमपि नैव स्याद इति संचिन्त्य तत्त्वतः ।
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| 3. | एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः ।
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| 4. | इसी प्रकार निर्गुण और सगुण तत्त्वतः एक ही हैं।
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| 5. | जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः ।
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| 6. | तत्त्वतः उसमें कोई भिन्नता नहीं है ।
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| 7. | इस प्रकार शिप्रा तत्त्वतः गंगाक्षेत्र की ही नदी है।
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| 8. | यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥७-३॥
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| 9. | बूँद जिसे तत्त्वतः गहराई देती है।
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| 10. | द्विवेदी जी के उपन्यासों में ऐतिहासिकता के तत्त्वतः दो रूप हैं।
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