के तत्त्ववाद, केन्द्रवाद और अतीत-जीविता से मुक्त कर उपभोक्ता क्षेत्र
3.
हमेशा केन्द्रवाद तत्त्ववाद और फासीवाद के खिलाफ जगह बनाती है और उसके
4.
कुछ अंग दर्शन या तत्त्ववाद के समझाने के उद्देश्य से लिख गये हैं।
5.
3. इस प्रयास में केवल दार्शनिक तत्त्ववाद या देवी-देवताओं की कथा या लीला की चर्चा को सम्मिलित न कर जीवनपयोगी व्यावहारिक, प्रायोगिक विषयों को चुना गया है, जिनका सामूहिक आचार में अभ्यास भी कराया जा रहा है।