| 1. | क्षणे-क्षणे यद् नवतां उपैति तदेव रूपं रमणीयतायाः ।
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| 2. | स तदेव स्वयं भेजे सृज्यमानः पुनः पुनः ।।
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| 3. | तदेव मे दर्शय देवरूपंप्रसीद देवेश जगन्निवास ॥ भावार्थ:
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| 4. | “तदैव सत्यं तदुहैव मंगल तदेव पुण्यं भगवदगुणोदयम्”
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| 5. | व्यपेतभीः प्रीतमनाः पुनस्त्वं तदेव मे रूपमिदं प्रपश्य ॥ ४९॥
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| 6. | “ क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदेव रूपम रमणीयतायाः।
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| 7. | तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥४॥
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| 8. | क्षणे क्षणे यत् नवतामुपैति तदेव रूपं.......
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| 9. | तानींद्रियाण्यविकलानि तदेव नाम सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव।
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| 10. | येनेति पर्यङ्कार्धशयनमपि प्रवासपदमिव परिहरतीति तदेव व्यनक्ति ।
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