| 1. | “अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तदैव च”....
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| 2. | सुख से वंचित दीन सब, बनें विरक्त तदैव ॥
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| 3. | “ क्षणै-क्षणै यन्नवतामुपैति तदैव रूपं रमणीयताया ”
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| 4. | ' ' तदैव सत्यं तदुहैव मंगल तदेव पुण्यं भगवदगुणोदयम् ''
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| 5. | नारायणोङ्गं नरभूजलायात्तच्चािप सत्यं न तदैव माया।।
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| 6. | तदैव युक् तं भेषज् यं,
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| 7. | इनका तर्क है कि " तदैव युक्तं भैषज्यं यदारोग्याय" (वही औषधि ठीक है, जो रोगी को रोगमुक्त करदें).
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| 8. | अपि च तथा विधातुं क्ॐअलत्वादेव देव्या तदैव दग्धं, वयं पुनर्वज्रसारातिकटोरिमाणोऽद्यापि दह्यामहे न भस्मीभवाम इति विशेषणं प्रस्तुतमेवोल्लासयति ।
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| 9. | क्षणे क्षणे यन्न्वता मुपेति तदैव रूपम रमणीयताया:-बालकिशन जी आप को तो अपने रूप राशी पर गर्व करना चाहिए
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| 10. | क्षणे क्षणे यन्न्वता मुपेति तदैव रूपम रमणीयताया:-बालकिशन जी आप को तो अपने रूप राशी पर गर्व करना चाहिए
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