यद्यपि कलकत्ता एक विशाल नगर है, परन्तु वहाँ परभारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुए आप्रवासी समुदायों के अलग-अलग निवासक्षेत्र हैं.
3.
पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो उनकी चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, कादंबरी जैसे कुछ साहित्यिक ग्रंथों में भी उनके स्वरूप निवासक्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं।
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पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो उनकी चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, कांदबरी जैसे कुछ साहित्यिक ग्रन्थों में भी उनके स्वरूप, निवासक्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं।
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पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो उनकी चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, कादंबरी जैसे कुछ साहित्यिक ग्रंथों में भी उनके स्वरूप निवासक्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं।
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पुराणों और महाभारत की कथाओं एवं आख्यानों में तो उनकी चर्चाएँ प्राप्त होती ही हैं, कांदबरी जैसे कुछ साहित्यिक ग्रन्थों में भी उनके स्वरूप, निवासक्षेत्र और क्रियाकलापों के वर्णन मिलते हैं।
7.
टामसन लिखते हैं “ऐसा अवश्य नहीं सोचना कि केवल आगंतुक जानवरों के ही कारण ऐसा प्रभाव पड़ा है, यद्यपि चूहे, बिल्लियाँ, खरगोश, सूअर, मवेशी, तथा चिड़ियाँ अपने निवासक्षेत्र की सीमाओं को पारकर दूसरे क्षेत्र में बहुत दूर तक घुस गए हैं।
8.
अनेक वर्षों के निरीक्षण के फलस्वरूप प्रकाशित कुछ ज्ञात तथ्यों से पता चलता है कि चिड़ियाँ न केवल अपने निवासक्षेत्र और पुराने नीड़ में ही पहुँच जाती है, बल्कि ठीक उसी दिन लौटकर आ जाती हैं जिस दिन वे पिछले वर्ष में लौटकर आई थीं।
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अनेक वर्षों के निरीक्षण के फलस्वरूप प्रकाशित कुछ ज्ञात तथ्यों से पता चलता है कि चिड़ियाँ न केवल अपने निवासक्षेत्र और पुराने नीड़ में ही पहुँच जाती है, बल्कि ठीक उसी दिन लौटकर आ जाती हैं जिस दिन वे पिछले वर्ष में लौटकर आई थीं।