नेत्रोत्सेधी गलगण्ड के होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-शोक, भय, आघात या कोई क्षयकारी रोग।
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2. नेत्रोत्सेधी गलगण्ड-इस अवस्था में गले के सामने के भाग पर सूजन होती है तथा रोगी की आंखे बाहर की ओर फैल जाती है।
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जब ये ग्रन्थि अधिक मात्रा में हार्मोन्स उत्पन्न करती है तो ‘ शरीर में गलगण्ड, तीव्र चयापचय तथा तीव्र ह्रत्गति जैसे रोग उत्पन्न हो जाते हैं और कभी-कभी आंखों का उभार भी बढ़ जाता है जिसे नेत्रोत्सेधी गलगण्ड कहते हैं।
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जब थाइरॉक्सीन हॉर्मोंन का स्राव बढ़ जाता है (हाइपरथाइरॉयडिज्म), तो चयापचयी दर सामान्य से 100 प्रतिशत तक बढ़ जाती है (ऐसा नेत्रोत्सेधी गलगण्ड में होता है) तथा थाइरॉक्सीन का स्राव घट जाने पर (हाइपोथाइरॉयडिज्म) चयापचयी दर सामान्य से 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है (ऐसा मिक्सीडीमा में होता है) ।