| 1. | नेत्रोद का चाप बढ़ने से ' ग्लॉकोमा' होता है।
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| 2. | नेत्रोद का उत्पादन सिलियरी बॉडी की केशिकाओं द्वारा होता है।
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| 3. | नेत्रोद का उत्पादन सिलियरी बॉडी की केशिकाओं द्वारा होता है।
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| 4. | नेत्रोद तथा विट्रियस गोलाकार आकृति को स्थायी रूप में रखते हैं।
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| 5. | नेत्रोद तथा विट्रियस गोलाकार आकृति को स्थायी रूप में रखते हैं।
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| 6. | नेत्रोद के कारण नेत्र के अंदर का चाप 18 से 25 मिमी.
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| 7. | इसमें कोलेजन एवं हायलूरोनिक एसिड के अलावा दूसरे संघटक नेत्रोद के समान ही होते हैं।
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| 8. | इसमें कोलेजन एवं हायलूरोनिक एसिड के अतिरिक्त अन्य संघटन नेत्रोद के समान ही होते हैं।
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| 9. | इसमें कोलेजन एवं हायलूरोनिक एसिड के अतिरिक्त अन्य संघटन नेत्रोद के समान ही होते हैं।
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| 10. | नेत्रोद पश्च कक्ष से निकलकर अग्रकक्ष में और यहाँ से फांटाना के प्रदेश में आता है।
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