दुलखना, आनगांव, तुफंगा, छलना, छिनभंगी, फजीता, शीतलपाटी, नखतौरे तोडना, छूंछी, अधीर जी, बिराना, जुज्बी, उलभला लेना, हिलंदे, मरभुखी, बुरज, पदीलना, हितू, बिथरना, तिनगकर, हिजों करवाना, फारखती, पारसाल, दिक करना जैसे शब्द वनमाली जी की भाषा को अलग रंगत अलग खूशबू प्रदान करते हैं।