सन् १७७०-१८१० तक लाप्लास ने खगोलीय बलविज्ञान, ज्वारभाटों और मंडल के स्थायित्व पर गवेषणा करके गति विज्ञान को समृद्ध किया।
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सन् १७७०-१८१० तक लाप्लास ने खगोलीय बलविज्ञान, ज्वारभाटों और मंडल के स्थायित्व पर गवेषणा करके गति विज्ञान को समृद्ध किया।
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इसके फलस्वरूप वैश्लेषिक गतिविज्ञान (ऐनालिटिकल डाइनैमिक्स, Analytical Dinamics) जैसे बृहत् विषय का विकास हुआ, जिसमें अब प्राक्षेपिकी, (बैलिस्टिक्स Ballistics) खगोलीय बलविज्ञान (सिलेश्चैल मिकैनिक्स Celestial Mechanics), कण गतिविज्ञान, दृढ़ गतिविज्ञान, और कंपन सिद्धांत का समावेश है।