जोअक्षर अधिक प्रबल नहीं होते उन्हें बलाघातहीन कहते हैं.
2.
जैसे-जैसे दो बलाघातितअक्षरों के मध्य बलाघातहीन अक्षरों की संख्या बढ़ेगी, वे अधिक से अधिक दबतेजाएँगे.
3.
किंतु दूसरे प्रकार की भाषाओंमें कई बलाघातहीन अक्षर दो बलाघातित अक्षरों के बीच में पड़कर प्रायः दब जातेहैं.
4.
(परीक्षणों में यह देखा गया है कि बलाघातयुक्त स्वर केमुकाबले बलाघातहीन स्वरों के उच्चारण में वायु अधिक खर्च होती है, जबकिबलाघातहीन स्वरों में कम प्रबलता होती है.
5.
त्हिच्ह् और ट्रइन् के मध्य में दो बलाघातहीन अक्षरहैं, ट्रइन् और च्रेते के मध्य में केवल एक बलाघातहीन अक्षर है और च्रेते तथाप्लेअसे के मध्य में कोई अक्षर नहीं है.
6.
त्हिच्ह् और ट्रइन् के मध्य में दो बलाघातहीन अक्षरहैं, ट्रइन् और च्रेते के मध्य में केवल एक बलाघातहीन अक्षर है और च्रेते तथाप्लेअसे के मध्य में कोई अक्षर नहीं है.