मेरे भक्तिमान कनिष्ठ सहोदर पं. गुरुसेवक सिंह उपाध्याय बी.ए. डिप्टी
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॥ ७ ॥ भक्तिमान मनुष्य के मन में कामनायें नहीं रहतीं क्योकि भक्ति निरोधरूप है॥ 7 ॥ निरोधस्तु लोकवेदव्यापारन्यासः ।
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एक कौपीनधारी वैष्णव के द्वारा ग्रन्थों के प्रचार का कार्य बिना वीरहाम्मीर जैसे भक्तिमान राजा के अर्थ और शक्ति की सहायता के सम्भव नहीं था।
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आज भी गर्भवती माताओं को उत्तम धार्मिक भक्तिमान वातावरण में रखा जाय, भगवान् की अच्छी-अच्छी धार्मिक बातें उनको सुनाई जायें तो आज भी भारत में ध्रुव-प्रहलाद उत्पन्न हो सकते हैं।