संज्ञा
| ज्योति की वे अति सूक्ष्म रेखाएँ जो प्रवाह के रूप में सूर्य, चंद्र, दीपक आदि प्रज्वलित पदार्थों में से निकलकर फैलती हुई दिखाई देती हैं:"सूरज की पहली किरण से दिन की शुरुआत होती है" पर्याय: किरण, किरन, विभा, रश्मि, अंशु, मरीचि, मयूख, ह्रद, केश, शिपि, रोचि, त्विषि, प्रसिति, द्युत्, द्युति, धाम, गभस्ति, चरण, पौ,
| | जल की लहरों की वह मिथ्याप्रतीति जो कभी-कभी रेगिस्तान में कड़ी धूप पड़ने पर होती है:"गर्मी के दिनों में रेगिस्तान में मृगतृष्णा का आभास होता है" पर्याय: मृगतृष्णा, मृग-मरीचिका, मृगतृष्णिका, मृगतृषा, मरीचिका, मरीचिजल, मरीचितोय, मरिचिजल, मरिचितोय, आतपोदक,
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