| 1. | यह विरूपीकरण हमारी व्यापारिक संस्कृति में दिखाई भी
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| 2. | जैसे बहुचर्चित उपन्यासों और धुंएं का सच और विरूपीकरण
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| 3. | यह यथार्थ का प्रस्तुतीकरण नहीं, उसका विरूपीकरण है।
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| 4. | विरूपीकरण भी द्रष्टव्य है-सखाराम-लक्ष्मी-चम्पा, अरुण आठवले, वेणारे बाई,
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| 5. | में हम इस विरूपीकरण को देख रहे हैं, हिन्दी और अंग्रेजी की
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| 6. | आधुनिक काल के मशाल-पुरुष मोहन राकेश सावित्री के मिथ का विरूपीकरण करते हैं।
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| 7. | यह विरूपीकरण हमारी व् यापारिक संस् कृति में दिखाई भी पड़ने लगा है।
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| 8. | इसका स्थाई भाव क्या होगा, विमानवीकरण, विरूपीकरण, और अगर उर्दू से परहेज़ न हो तो ग़लाज़त?
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| 9. | इसका स्थाईभाव क्या होगा, विमानवीकरण, विरूपीकरण, और अगर उर्दू से परहेज़ न हो तो '' ग़लाज़त? ''
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| 10. | इस संकलन की कविताएं जीवन के मूल और सहज रूपों के विरूपीकरण की असलियत को कई तरह से हमारे मन-मस्तिष्क में खोलती चलती हैं।
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