के दर्शन से पुरी तरह प्रभावित था आध्यात्मिक और व्यवहारिक शुद्धता बड़े पैमाने पर ब्रह्मचर्य और वैराग्यवाद (
2.
सहज साधना पद्धति का सारा गुणगान करने के बावजूद संत वैराग्यवाद के घोर समर्थक रहे हैं और योग की जटिल साधनाओं के बिना वे मनुष्य को अपरिशोधित मानते थे।
3.
यह निर्णय ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) के दर्शन से पुरी तरह प्रभावित था आध्यात्मिक और व्यवहारिक शुद्धता बड़े पैमाने पर ब्रह्मचर्य और वैराग्यवाद (asceticism) से जुदा होता है.
4.
भारतीय वैराग्यवाद न तो कष्ट की विषादपूर्ण शिक्षा है और न शरीर का दु: खदायी निग्रह है, वरन वह तो आत्मा के उच्चतर आनंद के लिये एक उदात्त प्रयत्न है।