गीता में उल्लिखित धर्म ग्लानि का समय बहुत पहले ही आ चुका है और सारे विश्व के बापू अर्थात् निराकार परमात्मा राम (ईश्वर, अल्लाह या गॉड) इस नर्क, दोजख या हैल को स्वर्ग, जन्नत या हेविन में बदलने के लिए राम की तरह एकú साधारण वनवासी (अर्थात् बेहद की वैराग्यवृत्ति वाले) मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं, किंतु उन्हें किसी चमत्कार के आधार पर नहीं, अपितु ज्ञानचक्षुओं के आधार पर पहचाना जा सकता है।