हमारे खून से शक्ति पाकर हमारे ही विरुद्ध शक्ति-प्रयोग! मूर्ख! ”
2.
गांधी और जिन्ना में कोई अन्तर नहीं है-जहां तक शक्ति-प्रयोग का प्रश्न है।
3.
हंसो या सोsहं-‘ शक्ति संचालन प्रक्रिया ' के अन्तर्गत यह दोहरी शक्ति-प्रयोग पद्धति है।
4.
इसका तात्पर्य यह है कि शासक के शक्ति-प्रयोग व दुरूपयोग पर किसी प्रकार का परम्परागत या वैधानिक प्रतिबंध नहीं होता है।
5.
लेकिन वास्तविकता यह है कि जहां निजी स्वार्थ आड़े आते हों, वहां मात्र नसीहत देकर, अनशन करके और अनुरोध करके लोगों का व्यवहार कभी नहीं बदला जा सकता है, शक्ति-प्रयोग अनिवार्य होता है।