शरीरक्रियाविज्ञान के विकास से इस मत को और बल मिला।
3.
मानवीय शरीर रचना शास्त्र और शरीरक्रियाविज्ञान जो गायन की भौतिक प्रक्रिया से संबंधित है,
4.
आधुनिक शरीरक्रियाविज्ञान और मनोविज्ञान के उजाले में ऐसी धारणाओं का बचकानापन बिल्कुल स्पष्ट है।
5.
जीवसांख्यिकी का उपयोग आज विशुद्ध विज्ञान जैसे वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान, जीवाणुविज्ञान, शरीरक्रियाविज्ञान इत्यादि से लेकर
6.
इसलिए शरीरक्रियाविज्ञान और मनोविज्ञान, दोनों के लिए पशुओं के मस्तिष्क का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
7.
जीवसांख्यिकी का उपयोग आज विशुद्ध विज्ञान जैसे वनस्पतिविज्ञान, प्राणिविज्ञान, जीवाणुविज्ञान, शरीरक्रियाविज्ञान इत्यादि से लेकर
8.
इसी के साथ साथ शरीरक्रियाविज्ञान (physiology) का भी विकास होता गया और नए नए रहस्यों का निरावरण संभव हुआ।
9.
मनोविज्ञान और शरीरक्रियाविज्ञान में इसका अर्थ यह है कि मस्तिष्क द्वारा हर प्रतिक्रिया को हल की जा रही समस्या के दृष्टिकोण से आंका जाता है।
10.
इसलिए मनोविज्ञान इन क्रियातंत्रों की प्रकृति और कार्य का अध्ययन शरीरक्रियाविज्ञान, जीवभौतिकी, जीवरासायनिकी, साइबरनेटिकी, आदि अन्य विज्ञानों के साथ मिलकर करता है।