| 1. | वसापिंडक या अव्यवस्थित ऊतक शरीरगुहा में पाया जाता है।
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| 2. | वसापिंडक या अव्यवस्थित ऊतक शरीरगुहा में पाया जाता है।
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| 3. | वसापिंडक या अव्यवस्थित ऊतक शरीरगुहा में पाया जाता है।
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| 4. | उस मध्यच्छदा के नीचेवाले शरीरगुहा के भाग का परितंत्रिक्य (पेरिन्यूरल,
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| 5. | अन्य संधिपाद जीवों की भाँति कठिनियों में भी रुधिर शरीरगुहा (
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| 6. | पृष्ठ मध्यच्छदा के ऊपर की ओर से शरीरगुहा के भाग को परिहृद (परिकार्डियल,
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| 7. | दोंनों मध्यच्छदाओं की प्रगति के कारण शरीरगुहा मे रक्त का परिवहन होता रहता है।
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| 8. | उस मध्यच्छदा के नीचेवाले शरीरगुहा के भाग का परितंत्रिक्य (पेरिन्यूरल, Perineural) विवर कहते है।
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| 9. | दोंनों मध्यच्छदाओं की प्रगति के कारण शरीरगुहा मे रक्त का परिवहन होता रहता है।
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| 10. | दोंनों मध्यच्छदाओं की प्रगति के कारण शरीरगुहा मे रक्त का परिवहन होता रहता है।
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