विशेषण
| जिसका चित्त व्याकुल हो या जो घबराया हुआ हो:"परीक्षा में उद्विग्न छात्रों को अध्यापकजी समझा रहे थे" पर्याय: उद्विग्न, बेचैन, विकल, अचैन, कादर, अभिलुप्त, अवकम्पित, अवकंपित, अशर्म, अशांत, अशान्त, गहबर,
| | जो उत्तेजना से भरा हुआ हो:"उत्तेजित व्यक्ति को समझाना मुश्किल होता है" पर्याय: उत्तेजित, उद्वेलित, गर्म, गरम, भड़का, उद्दीप्त, उद्दीपित, उध्वत,
| | जिसमें फेन या झाग हो :"समुद्र में फेनदार लहरें उठ रही हैं" पर्याय: फेनदार, फेनिल, फेनल, झागदार, गाजदार, फेनयुक्त,
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संज्ञा
| पृथ्वी और दूसरे ग्रहों या नक्षत्रों के बीच का स्थान:"अंतरिक्ष के बारे में आज भी वैज्ञानिक अनुसंधान जारी है" पर्याय: अंतरिक्ष, अन्तरिक्ष, अंतरीक, अन्तरीक,
| | खारे पानी की वह विशाल राशि जो चारों ओर से पृथ्वी के स्थल भाग से घिरी हुई हो:"समुद्र रत्नों की खान है" पर्याय: समुद्र, सागर, सिंधु, सिन्धु, अंबुधि, अम्बुधि, उदधि, पयोधि, तोयनिधि, पयोनिधि, वारिधि, जलधि, जलनिधि, अब्धि, समुन्दर, समुंदर, समन्दर, समंदर, रत्नाकर, तिमिकोश, वारिनिधि, अपांनाथ, अपांनिधि, अपांपति, जलपति, वारींद्र, वारीन्द्र, वारिराशि, वारीश, पाथोधि, मगरधर, अबिंधन, अबिन्धन, नदीश, नदीपति, नदीकांत, नदीकान्त, नदराज, नदीन, तोयधि, नदीभल्लातक, झषनिकेत, तोयराज, तोयराशि, पाथोनिधि, अमीनिधि, पाथि, शुद्धोद, पयोधर, तीवर, तरंत, तरन्त, जलेश, जलेश्वर, अवधिमान, अवारपार, रत्नगर्भ, लक्ष्मी-तात, तोयालय, अविष, परांगव, मकरांक, मकरध्वज, मकरालय, मकरावास, यादईश, पाथनाथ, पाथनिधि, वरुणालय, वरुणवास, अधिरथी, यादःपति, वरुणोद, सलिलपति, सलिलराज, सुदामा, सुदाम, सुदामन,
| | बहुमूल्य चमकीले खनिज पदार्थ जो आभूषणों आदि में जड़े जाते हैं:"हीरा, पन्ना, मोती आदि रत्न हैं" पर्याय: रत्न, जौहर, जवाहर, नगीना, नग, रतन, जवाहिर, अब्धिसार, रेजा,
| | तीन में एक जोड़ने से प्राप्त संख्या:" दो और दो चार होता है" पर्याय: चार, ४, 4,
| | हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता:"वेदों में भी सूर्यदेव की पूजा का विधान है" पर्याय: सूर्यदेव, सूर्य, सूर्य देव, सूर्य देवता, भानु, भास्कर, आदित्य, मिहिर, अंशुमान, अंशुमाली, खगपति, अर्क, सहस्रकिरण, यमसू, मरीची, दिवसेश, दिवसेश्वर, दिवस्पति, दिवसकर, दिवसकृत, दिवसनाथ, दिवसभर्ता, दिवावसु, अविनीश, दिवामणि, दिवसमणि, दीप्तकिरण, सहस्रगु, भूताक्ष, गविष्ठ, जगत्साक्षी, वृषाकपि, वेदवादन, त्रयीतन, त्रयीमय, नभस्मय, नभश्चक्षु, चक्रबंधु, चक्रबन्धु, चक्रबांधव, चक्रबान्धव, तीक्ष्णांशु, तीक्ष्णरश्मि, पद्मगर्भ, त्विषामीश, तुंगीश, द्युपति, द्युम्न, तरणि, अरविन्दबन्धु, दिव्यांशु, अरविंदबंधु, अर्यमा, अर्य्यमा, अर्जमा, कालेश, मार्तंड, मार्तण्ड, चित्रभानु, गोकर, केश, वेदोदय, वेध, वेधा, वेदात्मा, प्रजादार, प्रजाध्यक्ष, सावित्र, द्यु-पति, द्यु-मणि, अह, अहस्पति, आदिदेव, दिनकर, भट्टारक, दिनमणि, दनमणि, कुवम, दुड़ियंद, अधिरथी, पचत, हेममाली, हेमकर, वरेय, गभस्ति, गभस्तिपाणि, गभस्तिहस्त, ज्वालमाली,
| | दंडक छंद का एक भेद:"अर्णव के हर चरण में दो नगण और नौ रगण होते हैं"
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