मैं साफश् निगाह से स्त्राी की तथाकथित आत्मकेन्द्रीयता देख सकती हूँ और पुरूष का अनुशासन भी जो उसे तराशता है गृहस्थी के लिए-अर्थ, साधन और सुविधाएं जुटाने के लिए।
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भईये जब १९७९ के अमरीका में ये किताब छप कर सर्वाधिक बिक्री वाली किताब बन गई थी, सोचो की इस देश में आत्मकेन्द्रीयता वाली मनसिकता का क्या आलम रहा होगा.