वह उसे एक धर्म सम्मत विवाह की जगह उद्वाह की सलाह देते हैं.
5.
गृह्यसूत्रों में गृहस्थ जीवन संबंधी संस्कारों और गृहाग्नि में संपन्न होनेवाले यज्ञों के (उपनयन, उद्वाह आदि के) विधान, अनुष्ठान आदि
6.
ऋषि रैक्य की तरह उद्वाह नहीं, विवाह सिर्फ वहन करना नहीं, निर्वहन (निर्वाह) करने की शर्त भी है।
7.
बाल्मीकी रामायण, रामचरित मानस सुंदर कांड, मूलरामायण का सम्पुटित पाठ उपरोक्त श्लोक का सम्पुट लगाकर करने से भी उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है।
8.
उद्वाह, जिसमें ‘ पति पत्नी को और पत्नी पति को ऊपर की और वहन करती है, अर्थात परस्पर की आध्यात्मिक चेतना को परिष्कृत करती है. '
9.
विवाह की कामना लेकर श्री हनुमान जी का ध्यान, पूजन, विनय आदि के साथ कोई अविवाहित युवक आदि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः 108 बार पाठ करें तो उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है।