संज्ञा
| अपनी प्रतिष्ठा या अभिमान:"महाराणा प्रताप ने आजीवन स्वाभिमान की रक्षा की" पर्याय: स्वाभिमान, ख़ुद्दारी, खुद्दारी, गैरत, आत्माभिमान,
| | वह मनोभाव जो स्वभावतः अथवा संकोच, दोष आदि के कारण दूसरों के सामने सिर उठाने या बोलने नहीं देता है:"लज्जा के मारे वह कुछ न बोल सकी" पर्याय: लज्जा, लाज, शर्म, शरम, शर्मिंदगी, शरमिंदगी, संकोच, सकुचाहट, झेंप, झेप, हया, लिहाज, लिहाज़, व्रीड़ा, व्रीडा, गैरत, व्रीड़, व्रीड़न, मुरव्वत, मुरौवत, हिजाब, कानि, पत, मंदाक्ष, मन्दाक्ष, खिली, ह्री, ह्रीका, अवि, नटांतिका, नटान्तिका, आकुंठन, आकुण्ठन, आर,
|
|