| 1. | भक्तिहीन बह्मा ही क्यों न हो, वह मुझे सब
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| 2. | भक्तिहीन अग़्यान-गाढ़ान्ध-तमोपहित हृदयों को आलोकित कर चिरन्तन
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| 3. | 3. हे सुरेश्वरि! मैंने जो मन्त्रहीन, क्रियाहीन, भक्तिहीन पूजन किया है वह
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| 4. | ‘ भक्तिहीन विरंचि किन होई ' भक्तिहीन अगर ब्रह्मा भी है तो हमको प्रिय नहीं।
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| 5. | ‘ भक्तिहीन विरंचि किन होई ' भक्तिहीन अगर ब्रह्मा भी है तो हमको प्रिय नहीं।
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| 6. | उसकी सिद्धि हो जाए तो भी भक्तिहीन होने से वह भगवान को प्रिय नहीं होता...
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| 7. | और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।
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| 8. | जो आज्ञा, कहकर चारों ने राजा साहब को भक्तिहीन प्रणाम किया और राज्य के बाहर चले गए।
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| 9. | जो आज्ञा, कहकर चारों ने राजा साहब को भक्तिहीन प्रणाम किया और राज्य के बाहर चले गए।
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| 10. | और भक्तिहीन होकर तत्वग्यान के बिना वह इस असार संसार में 84 लाख योनियों में ही भटकेगा ।
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